Last modified on 18 फ़रवरी 2013, at 23:04

निज़ामुद्दीन-2 / देवी प्रसाद मिश्र

गली से निकला तो एक
पेड़ मिल गया और गिन कर
बता सकूँ तो इक्कीस चिडि़याँ
थोड़ा और बढ़ा
तो पता लगा सत्रह बच्चे मिले

और एक पेड़ के बाद इक्कीस और पेड़

यह उस रास्ते का हाल है जिसे मैं हिन्दी साहित्य की तरह बियाबान
वगैरह कहता रहा था

फिर जो लड़की मिली वह तो
तीसरी या चौथी परम्परा सरीखी थी। दुबली-सी।

पता ये लगा कि वह जीनत थी
जो मेरठ यूनिवर्सिटी से बी०ए० करने के बाद
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से
अँग्रेज़ी में एम०ए० करना चाहती थी

मतलब कि जिस लड़की ने कभी
1857 में अँग्रेज़ों को बाहर करने की मुहिम चलाई थी