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चुप है वह क्लांत
रहती है शांत
उसके पास ख़ुशी कभी नहीं लौटेगी अब
दफ़ना दिया गया उसे
वर्षा से गीली धरती में
विदा दी ख़ुशी को उसने, वह हो गई अलग
चुप है वह, खोई-खोई है
आत्मा खाली है और खाली है हिया
जैसे किसी समाधि पर बना है गिरजा
और गिरजे में गूँगी क़ब्र पर रात-दिन
निरन्तर जलता हो दिया
(1903-1905)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय