जनता रोॅ दरद जानैं की सरकार,
निरदैया बनी गेलोॅ छै सरकार।
वादा रोॅ पेटारी लैकेॅ घुमै छै,
सब्भैं एक दोंसरा कॅ छुटै छै।
बिचौलिया आपस मेॅ जुटै छै,
भ्रष्टाचार रोॅ जाल फैलावै छै।
ऑफिस रॉे फाइल जरावै छै,
नया फाईल बनाबै छै।
कुर्सी एक जग्धा पर स्थापित छै
जनता तेॅ जगरोॅ विस्थापित छै।
फैली रहलोॅ छै सगठोॅ बाजार,
छै बढ़लोॅ मंहगाई बेशुमार।
काहीं सुखाड़ छै तेॅ काहीं बाढ़ छै,
घोटाला मेॅ मस्त सरकार छै।