बनें बनायें किन्तु बिगड़ती बात बनावें।
हँसें हँसावें किन्तु हँसी अपनी न करावें।
बहक बहँकते रहें पर न रुचि को बहँकावें।
खुल खेलें, पर खेल खोल आँखों को पावें।
भर जायँ उमंगों में मगर बेढंगी न उमंग हो।
रँगतें रहें सब रंग की मगर निराला रंग हो।
बनें बनायें किन्तु बिगड़ती बात बनावें।
हँसें हँसावें किन्तु हँसी अपनी न करावें।
बहक बहँकते रहें पर न रुचि को बहँकावें।
खुल खेलें, पर खेल खोल आँखों को पावें।
भर जायँ उमंगों में मगर बेढंगी न उमंग हो।
रँगतें रहें सब रंग की मगर निराला रंग हो।