आप बरेली के सुप्रसिद्ध शिक्षक प्रौ रामकृष्ण वैश्य की पुत्री हैं। आपने दस वर्ष की आयु से ही साहित्य सृजन आरंभ कर दिया था। आपने हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में रचनाऐं लिखी हैं। लघुकथा, बालगीत, बाल कहानी और बाल उपन्यास के अतिरिक्त काव्य का भी सृजन किया है। आपके प्रकाशित काव्य संग्रह तपती रेत की शिलाऐं, बक्त की खूंटी, धूप के टुकडे, एवं बालगीत प्रमुख हैं। अन्य संग्रहों में पिंजरा खुल गया, धुॅयें के पहाड, धुॅये की इमारत, मुठ्ठी बंद खुशबू, संजीवनी बूटी, बक्ख की करवट, तबादला, सनसैट व्यू, एक कप काफी , पिघलता सीसा, आज की शकुन्तला, मैं अनीष नहीं और अप्रवासी भारतीयता के परिदृष्य में लिखा लैंडस एन्ड उपन्यास प्रमुख हैं। आपकी कहानियों का प्रसारण बी बी सी लंदन बर्मिघम से भी हुआ है। आपने बर्मिघम में 2006 के अंतरराष्ट्रीय रामयण सम्मेलन में भी प्रतिभाग किया था। आपकी लिखी बालकविता समय पुणे की प्राइमरी कक्षाओं की पाठ्य पुस्तक के रूप में शामिल की गयी है। इसी प्रकार अपकी लिखी कविता गुलाब तथा कहानी सीढीदार खेत दिल्ली की पाठ्य पुस्तकों में शामिल की गयी है। आपके लिखे गद्य साहित्य पर दो शोधार्थी क्रमशः आगरा और देहरादून मे शोधरत हैं।