निशाक बात नहि करू
ई अश्रुपात नहि करू
चलू पहाड़ तोडिक
हवाक वाट मोडि क
इजोत ताकि लेब हम
लहाश गात नहि करू
ई अश्रुपात नहि करू
किरण अखन जगा रहल
नवल प्रभात गा रहल
प्रकाश मे चलू अखन
हृदय मे घात नहि करू
ई अश्रुपात नहि करू
उठु आ झूठ सँ लडू
सुकर्म लेल किछ करू
डेराउ नहि बिहाडि सँ
बेकार बात नहि करू