वह युग तो बीत गया कब ही का
फिर आपकी पीठ पर कहॉं से आये
कोड़े के निशान,
कहीं सहलायी तो नहीं पीठ आपकी
आपके भाग्य विघाता ने !
वह युग तो बीत गया कब ही का
फिर आपकी पीठ पर कहॉं से आये
कोड़े के निशान,
कहीं सहलायी तो नहीं पीठ आपकी
आपके भाग्य विघाता ने !