निशा-
निशाकर का
आमोदित अंक मिला।
दिवा-
दिवाकर का अनुरागी
कंजखिला।
दुपहर देवी का,
आँगन में नृत्य हुआ;
सांध्य सुंदरी का
दीपोत्सव दिव्य हुआ।
निशा
दिवा,
दुपहर,
संध्या को
मैंने सतत जिया,
सत्य-समर्पित
कविताओं का
सार्थक
सृजन किया।
रचनाकाल: ०१-०४-१९९१