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निष्कर्ष / अरविन्द श्रीवास्तव
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अरविन्द श्रीवास्तव
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यह पृथ्वी का प्रेमकाल
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अंततः हम
निष्कर्ष पर पहुंचाते हैं
कि हमें अपने
प्रेम की शुरुआत
पत्थरों से ही
करनी चाहिए थी !