नींद न आँखों में थी
न करवटों में-
कहीं दूर उस वीराने में थी :
कैसे यहाँ वह आती?
पर आँखें थीं जब यहाँ
नींद वहाँ भी
कैसे सो पाती?
नींद न आँखों में थी
न करवटों में-
कहीं दूर उस वीराने में थी :
कैसे यहाँ वह आती?
पर आँखें थीं जब यहाँ
नींद वहाँ भी
कैसे सो पाती?