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नींद / पॉल वेरलेन / अनिल जनविजय

नींद, ओ गहरी नींद
घेर, मुझे तू घेर
नींद, अरी ओ नींद
बेकार है सब उम्मीद
उदासी चारों तरफ़
होने वाली है उजेर

अरे, अन्धा हो चुका हूँ
अब क्या सही, क्या ग़लत
दिमाग में धुन्ध छाई है
क्या गाऊँ, सब उलट-पलट

पालना होगा अब, बस, वही
जो क़ब्र में ले जाए
ज़रा धीमे बोलो, चुप रहो
गहरी नींद मुझे आए    

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय