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नींद का बादल / अंशु हर्ष

कल रात एक अजीब सा भारीपन था दिलो दिमाग पर न जाने क्यों
यु लग रहा था मानो एक बड़ा काला सा बादल
घर कर गया है मेरे मन के अंदर
न बरसता है न बिखरता है
बस अपनी जगह बनाकर
एक बैचेनी भरा समां बना लिया है चारो तरफ
कल रात आंखों में नींद थी लेकिन
सुकून नही था ...