जब सोता हूं रात को
नींद में आती है कविता
मैं जान लेता हूं
यह है कविता
फ़िर भी
बोलती है कविता
मैं हूं कविता
"मैं जानता हूं"
जैसे ही मेरे होंठ खुलते हैं
गलबहियां डाल
चूम लेती है कविता
मैं रोमांचित
जैसे पहली बार बना पिता
जब सोता हूं रात को
नींद में आती है कविता
मैं जान लेता हूं
यह है कविता
फ़िर भी
बोलती है कविता
मैं हूं कविता
"मैं जानता हूं"
जैसे ही मेरे होंठ खुलते हैं
गलबहियां डाल
चूम लेती है कविता
मैं रोमांचित
जैसे पहली बार बना पिता