मंगल पाखी
वापस आओ
सूना नीड़ बुलाए
फूली सरसों
खेत हमारे
रंगहीन है
बिना तुम्हारे
छत पर मोर
नाचने आता
सुगना शोर मचाए
आँचल-धानी
तुमको हेरे
रुनझुन पायल
तुमको टेरे
दिन सीपी के
चढ़ आये हैं
मोती हूक उठाए
ताल किनारे
हैं तनहा हम
हंस पूछते
क्यों आँखें नम
द्वार खड़ा जो
पेड़ आम का
बहुत-बहुत कड़ुवाए