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नीतियाँ विशाल हों / प्रेमलता त्रिपाठी

नीतियाँ विशाल हों ।
कर्म भी कमाल हों ।

मान दान हो भले
धर्म की मिसाल हों ।

दीप साधना जले,
सत्य का धमाल हों ।

पुण्य के प्रभाव से,
अंत पाप काल हों ।

अस्मिता बची रहे,
ध्वस्त हो कुचाल हों ।

दिव्य शक्तियां जगें
पंथ बेमिसाल हों ।

द्वेष भावना मिटे,
प्रेम से निहाल हों ।