ईख के हास
पयोद के खण्ड
अलाव के धूम
घुली अमराइयाँ
मीकते मेमने
टूटती पत्तियाँ
काँपती - सी नभ की गहराइयाँ
नीम की गन्ध घुली - घुली साँझ
नशीली व्यथा से भरी जमुहाइयाँ ।
सूनी - सफ़ेद डरी हुई नीरव
भीतियों ने निगली परछाइयाँ ।
ईख के हास
पयोद के खण्ड
अलाव के धूम
घुली अमराइयाँ
मीकते मेमने
टूटती पत्तियाँ
काँपती - सी नभ की गहराइयाँ
नीम की गन्ध घुली - घुली साँझ
नशीली व्यथा से भरी जमुहाइयाँ ।
सूनी - सफ़ेद डरी हुई नीरव
भीतियों ने निगली परछाइयाँ ।