नीलकण्ठ नारी / तस्लीमा नसरीन

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: तसलीमा नसरीन  » नीलकण्ठ नारी

पीने के लिए मैं जो भी पात्र चुनती हूँ
उसमें होता है ज़हर, लेकिन पास ही
नासपाती का मधुर रस, अनार और अंगूर का बादामी शरबत।
हमेशा मैं रंग देखकर ग़लती कर बैठती हूँ
जो रंग ज़्यादा चमकीला होता है
उसके मोह में तुरन्त झुक जाती हूँ मैं
और पाती हूँ, कण्ठ से होकर उतरता है गरल।

यह मेरी व्यर्थता है कि
सौ गुलाबों के बीच से भी मैं हाथ मे उठा लेती हूँ
कनेर के पीले फूल।

मूल बांग्ला से अनुवाद : मुनमुन सरकार

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.