1.
अन्तिम क्षण की नीली रोशनी नीली रोशनी जैसी नहीं लगती
थी। वह एक भव्य और उदास दिन की रोशनी जैसी लगती
थी, जो नीली थी। क्षण अन्तिम था, भव्य और उदास, और
फिर नहीं था। नीली रोशनी अभी जल रही थी।
2.
दिन सब नीले थे। भव्य एक भी नहीं। उनमें से किसी
एक को मैं भव्य सोच लेता था। वह तब भी नीला बना
रहता था। नीला केवल एक रंग था : वह लाल, भूरा, पीला
भी हो सकता था। किसी भी रंग में दिन वैसा ही नज़र
आता था। यानी नीला या लाल या भूरा या पीला, लेकिन
वैसा ही। इस तरह सब दिन नीले थे, या लाल या भूरे
या पीले।
3.
वह नीला नीले से भिन्न था, जो उस दिन मैंने देखा था।
ज़्यादातर वह पीला लगता था, कभी-कभी भूरा भी। लेकिन
फिर भी वह अपने नीलेपन को छोड़ता नहीं था। पीले
और भूरे के नीेचे एक नीली पर्त थी, जो नीले से भिन्न
थी — और उस दिन मैंने देखी थी — और इसीलिए मुझे
प्रिय थी।
4.
एक नीला नीला था, एक हरा। एक नीला हरा दीखता
था, पर असल में नीला था। एक वो नीला जो मेरे मन
में पैठता था किसी अन्तहीन नीले की तरह। एक नीला
नीला होने का स्वाँग साधता था। यह स्पष्ट था कि वह
नीला नहीं था, न और ही कोई रंग था उसका। केवल
स्वाँग उसका नीला था।