कितनी भली हैं
छतों पर खड़ी
हरी-भरी
नीली-पीली लड़कियाँ
चोंच खोले
पंख पसारे
नन्ही आँखों में
टिमटिम तारे
धमन-भट्ठी में पली हैं
बिल्कुल डब-डब भरी हैं
बूँद-बूँद छिजतीं
नीली-नीली लड़कियाँ
आँधी से वे बेख़बर
पर टूटेगा जब कहर
कैसे-कैसे कुम्हलाएँगी
क्या-कितना कुछ कर पाएँगी
अंगारों-सी दहक-दमक उठीं
लाल-लाल लौह-छड़ियाँ