कैसी रे कैसी
ये नीली छतरी?
धूप भी बरसे
पानी भी बरसे
छतरी के नीचे
भीगे जी नगरी।
छतरी के अंदर
छेद है लाखों,
दीखें तभी जब
रात हो गहरी।
छतरी किसी के
हाथ न आए,
ऊँची हवा के
बीच में ठहरी।
कैसी रे कैसी
ये नीली छतरी?
धूप भी बरसे
पानी भी बरसे
छतरी के नीचे
भीगे जी नगरी।
छतरी के अंदर
छेद है लाखों,
दीखें तभी जब
रात हो गहरी।
छतरी किसी के
हाथ न आए,
ऊँची हवा के
बीच में ठहरी।