नुनुआँ केॅ घेरछानी राखोॅ
जोगबारी में नानी राखोॅ
प्यासोॅ से मन करथौं छटपट
अपनों साथें पानी राखोॅ
मजलिस छै साहित्यकार के
कविता आरु कहानी राखोॅ
भोज भात में जाबैॅ पड़थौं
ऐ बातोॅ केॅ जानी राखोॅ
खर्चा तेॅ होने होना छै
बात यहू तों मानी राखोॅ
तिक्खोॅ बात पसन नैं ककरोॅ
मिटठो अपनी बानी राखोॅ
ढेर मजा पाबै लेॅ ‘बाबा’
जोगी करी जवानी राखोॅ