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नूंवी हवा (2) / हरीश बी० शर्मा


बत्तीस रिपियां रो सवाल
च्यार भायला
आठ-आठ करै
तो भेळा हुय जावै
समै
आधी रात रो
सायरो ठेकै री भींत रो
गटागट कर‘र
थूं थारै अर म्हैं म्हारै।