सकल विश्व में फहरे परचम, उन्नत हो भारत का भाल।
समरसता का शुभ संदेशा, लेकर आये नूतन साल॥
ऊँच-नीच का, हर कुरीति का,
मिलजुल कर हम करें विरोध।
द्वेष दिलों के सकल मिटाकर,
करें प्रीति पर नूतन शोध॥
जाति-वाद और वैमनस्य की,
नहीं गले अब कोई दाल॥
समरसता का शुभ संदेशा, लेकर आये नूतन साल॥
हर थाली में रहे निवाला,
अश्रु नहीं हों द्वय दृग कोर।
नित चौके में खदके अदहन,
सुलगें चूल्हे भोर अछोर॥
भूखा मरे न निर्धन कोई,
निठुर क्षुधा न करे बवाल॥
समरसता का शुभ संदेशा, लेकर आये नूतन साल॥
दहलीज़ों से बाहर आकर,
'आधी आबादी' ले श्वास।
रहे सुरक्षित प्राण, अस्मिता,
खंड न हो उसका विश्वास॥
अवरोधों को करे पराजित,
बने स्वयं ही सक्षम ढाल॥
समरसता का शुभ संदेशा, लेकर आये नूतन साल॥