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नृपति उदास है / अरविन्द श्रीवास्तव

नृपति उदास है
उसकी बेटी ने
आज कोई कत्ल नहीं किया

रक्त से आचमन
ड्राइंग कक्ष में
चांद-सितारों को क़ैद नहीं किया

वाद्य यंत्रों की धुनाई,
मौसमों को
पिंजरे में बंद नहीं किया
विरासती फ़ौजों का
‘ऑनर‘ नहीं लिया

खलबली है नृपतंत्र में
कल बेटी
कामग़ारों की बस्ती क्यों गई

नहीं आ रही
भुने हुए काजू की ख़ुशबू
आज उसके
गू से !