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नेता जी कहिन / नीता पोरवाल

अरे भाई!
अगर बाढ़
आपन संग ले भी गयी
तोहार टीन टम्बर
चार ठो बरतन औउर कपरा लत्ता
तो इतना हो हल्ला काहे भईया

अरे तो अब फिर लगा ले
इहाँ चार ठो बल्ली
तान ले चदरिया औ का
ले बन गयी तोहार गिरिस्थी
एतना हाय-हाय मत करो रे
ए पिछले जनम के पुन्य हैं तोहार
साक्षात गंगा मईया आयीं रहीं
तोहार दुआर
समझा की नाही?

अऊर फिर
तू तौ हिम्मती है रे
जानत तौ है आपन पीठ पर
दरिद्दर दुःख तकलीफ मौसम की मार
औउर मरी हुई बीबी लरिका बच्चा ढोना
ई में नवा का है रे तोहार वास्ते
कछू पल्ले पड़ा कि नाही?

‘चलो रे चलो’
और नेता जी के
हेलिकोप्टर में सवार होते ही
कैमरे की बत्तियों के साथ
बुझ गयीं थीं उम्मीदें भी

बढ़ उठी थी हवा में दुर्गन्ध
लहरें शायद फिर कोई मृत पशु
छोड़ गयीं थीं किनारों पर
पाँवों से आ लिपट गया था
किसी बच्चे का झबला

हर ओर घुप्प अँधेरा था
क्योंकि अँधेरे में देखने के लिए
जरूरी था अँधेरा होना
तो अब दिखने लगा था साफ़
कि नदी नाले ही नहीं
संवेदनाएँ भी बह रहीं थीं
खतरे के निशान से
कहीं ऊपर... बहुत ऊपर...