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नेती रहलो छै / अनिल कुमार झा

झरी-झरी के हरसिंगार ई नेती रहलोॅ छै,
व्याकुल मोॅन रहै कैन्हें नी चेती रहलोॅ छै।
बात अधूरा, रात अधूरा
प्रेमी रो जज्वात अधूरा,
खुसुर फुसुर से सपना टूटै
लागै छै संसार अधूरा।
हाय, अधूरापन चाकू सं रेती रहलोॅ छै,
झरी झरी के हर सिंगार ई नेती रहलोॅ छै।

छै किसान ते खुश देखी के
हरा भरा सब खेत पथार,
कोमल मन के गीत सजैने
कत्ते सुंदर टा व्यवहार।
पूजा अर्चा देव गोसांय मनौती रहलोॅ छै,
झरी झरी के हर सिंगार ई नेती रहलोॅ छै।

खड़ोॅ खोली के सब टा पानी
देलकै मंगरू आय बहाय,
अबकी शरद के शीत बनैतेॅ
दाना पोकत माय सहाय।
मगन छै भैंसिया बिना बोरने दिन बीती रहलोॅ छै,
झरी-झरी के हरसिंगार ई नेती रहलोॅ छै।