मा घणकरी सी बार
तंदरुस्त नीं रैवै
तद भी
निभावै नेम-काइदा
न्हा’र ढाळै गडियौ
सूरज जी नै
अर पाणी सींचै
तुळछी में
पछै बड़ै रसोई में
अर
गा-कुत्तै सारू
बणावै अेक-अेक रोटी
मिंदर में
ठाकुर जी
अर पीतर जी रै भी
अेक-अेक रोटी साथै
घी-खांड रौ
लगावै भोग
मा बतावै
कै भौत जरूरी है
अै नेम-काइदा
घर में बरकत सारू।