नेवाज के विषय में अधिक कुछ ज्ञान नहीं है। कहते हैं ये जाति के ब्राह्मण थे तथा बुंदेला राजा छत्रसाल के आश्रित थे। इनके दो ग्रंथ प्राप्त हैं, 'शकुंतला-नाटक तथा 'छत्रसाल-बिरुदावली। इनके फुटकर शृंगार-परक छंद भी मिलते हैं। कविता की दृष्टि से यही अधिक महत्वपूर्ण हैं। ये बडे रसिक थे। रचआनों में प्रेम की सरल भावाभिव्यक्ति के कारण 'नेवाज का नाम गौरव से लिया जाता है।