हँसे हेरत, टेरत काहे उन्हें,
किस गन्ध पे छन्द लुटावत हो ?
अँखियाँ न रिझावत हैं छवि जो,
अँखियान में क्यों न बसावत हो ?
मन काहे मरोरत हो हरि सों,
हिय कौन से रंग रंगावत हो ?
जब नैनन में हरि नाचत हैं,
तब काहे को नैन नचावत हो?
हँसे हेरत, टेरत काहे उन्हें,
किस गन्ध पे छन्द लुटावत हो ?
अँखियाँ न रिझावत हैं छवि जो,
अँखियान में क्यों न बसावत हो ?
मन काहे मरोरत हो हरि सों,
हिय कौन से रंग रंगावत हो ?
जब नैनन में हरि नाचत हैं,
तब काहे को नैन नचावत हो?