बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
नैनन साभरिया लग रैहै।
जो तै जमुनै, जै हैं।
जिनकौं राज जिनहूँ की रइयत,
उनकी कीसौं के है।
चाहत है जो अपने कुल की,
बाहर पाँव न दैहैं।
‘ईसुर’ स्याम मिलैं कुंजन में,
मन माई कर लै हैं।
नैनन साभरिया लग रैहै।
जो तै जमुनै, जै हैं।
जिनकौं राज जिनहूँ की रइयत,
उनकी कीसौं के है।
चाहत है जो अपने कुल की,
बाहर पाँव न दैहैं।
‘ईसुर’ स्याम मिलैं कुंजन में,
मन माई कर लै हैं।