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वहां एक नदी थी उफ़ान भरती पेड़ों की ऊंचाई तक
अपने छप्परों समेत लकड़ी से बने हुए घरों तक
जहां से सूरज बड़ी तेज़ी के साथ बढ़ता है आगे
और सुबह-सुबह सतही तौर पर
वहां चक्कर काटता हुआ
बिना ग़ौर किए जैसा वह सरल काम है
गुज़र जाना वहां से
वह रोते हुए नाटे और झकास-सा हरितिमा
से भरपूर पौधे से कहता है बड़ी समझदारी से
जगलों को बचाने के लिए वहां लगाए गए थे
कटान से बचाव के लिए पत्थरों से बंधा तार
जहां एक छोटी सी नाव थी लगी
अपने निर्माण स्थल पर
और रात वहां अब भी
दुख में जी रही थी छज्जे के नीचे दुबकी
उन अंधेरे घरों वाली नावों में
परिवार अब भी जमे थे
चीनी सूप उबल रहा था लकड़ी वाली
कोयला अंगीठी में
उसके बाद वे एक-एक करके सफ़ाई के काम में लग गए
उबालने के काम मे लगी
मां और बेटी
ख़ामोश बच्चे ताक़ते हुए
जमा हुए मेरे इर्दगिर्द
और युद्ध के मैदान से दूर
चौकन्ने हुए जवान बैठ गए
उन्होंने एक सिगरेट की दरकार की
और धीमे से मुस्करा दिए
परिवार का बूढ़ा आदमी
अपने बिस्तर पर पसर गया
और तटबंधों पर रहने वाले
मछलियों के शिकारी युवक
पांत में लग गए
लड़कियां अपनी जगहों से खड़ी हो गई
फिर कमर झुकाकर लग गई नदी की सफ़ाई में
या उनमें कई ने दिन का चावल
रंगबिरंगी प्लेटों में परोसा
और मैं कड़क कॉफी
पीने की तमन्ना के साथ बैठ गया
एक सुखद जंग और गोलमटोल
जवाबों को सुनने के बाद
मेरी संवेदनाओं पर
पानी बढ़ने लग गया
मेरी संवेदनाएं भरीं
इस सुखद जंग के बाद
असहज जवाबों से
गांव आग के ढेर पर हैं
शहर खाली हो रहे हैं
सुबह की रोशनी
नदी के किनारों को अलविदा कह चुकी हैं
और दूरियों पर खड़े फूल
त्रासदियों के गवाह हैं
और मुझे डर है
इन चंद शब्दों को पढ़ने के बाद
जो कुछ मैं जानता-पहचानता हूं
उनको नष्ट किया जा चुका होगा
और ये काम ओ लोग करेंगे जिनको
मैंने प्रेरणा दी लेकिन मैं उसने वाक़िफ़ नहीं
और हंसते हुए जवा?न
जंग में होंगे अपनी हार का सामना करने के लिए
और मुझे ये भी डर है
मेरे ज़्यादातर दोस्त मारे जा चुके होंगे।