रोजे रोज बटिया हम जोहिले तोहार
नौजवान भइया ! देशवा के तूही करनधार
कहिया ले चारों ओर एकता बनइब
कहिया ले जुलुमिन के जुलुम मेटइब
कहिया ले देब नया युग के विचार
कहिया ले जाई अपना देश से बेकारी
कहिया ले छूटी भूखल पेट के बेमारी
कहिया ले सहल जाई महंगी के मार
कहिया ले होई हमनी के सुनवाई
कहिया ले धन के गुलामी मिट जाई
कहिया ले बनी हमनी के सरकार
तूहीं कुछ सोचब, त, सूझी कवनो राह
तू ही कुछ करब त, होई कुछ छाँह
तोहरे पर लागल बाटे आसरा हमार
रचनाकाल : 30.04.1985