न्यायक भवन कचहरी नाम।
सभ अन्याय भरल तेहि ठाम॥
सत्य वचन विरले जन भाष।
सभ मन धनक हरन अभिलाष॥
कपट भरल कत कोटिक कोटि॥
ककर न कर मर्यादा छोटि॥
मन कवि ‘चन्द्र’ कचहरी घूस।
सभ सहमत ककरा के दू स?
न्यायक भवन कचहरी नाम।
सभ अन्याय भरल तेहि ठाम॥
सत्य वचन विरले जन भाष।
सभ मन धनक हरन अभिलाष॥
कपट भरल कत कोटिक कोटि॥
ककर न कर मर्यादा छोटि॥
मन कवि ‘चन्द्र’ कचहरी घूस।
सभ सहमत ककरा के दू स?