स्कूल में प्रेमचंद जयंती मनाई जा रही थी,
प्रधानाध्यापक द्वारा, अध्यापकों और छात्रों को,
“पंच परमेश्वर” की कहानी सुनाई जा रही थी।
तभी दो लड़कों में,
एक पेन को लेकर झगड़ा हो गया,
एक बैठा रहा, दूसरा रोता हुआ खड़ा हो गया।
बोला सर, अलगू ने मेरे बेग से पेन चुराया है,
देता नहीं, कहता है मैदान में पड़ा पाया है,
गुरुजी ने दोनों को पास में बुलाया,
फिर जुम्मन और अलगू को यूँ समझाया,
पंच में परमेश्वर का वास होता है,
वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है,
बोले, एक ने पाया है,
तो दूसरे ने खोया है,
एक जाग रहा, दूसरा सोया है
फिर पेन लेकर जेब में रख लिया,
झगड़े की चीज़ पंच की, यह निर्णय दिया,
मैंने देखा इस निर्णय पर,
सिर्फ जुम्मन रो रहा था,
पर डर के मारे,
सभी के साथ वह भी,
पंच परमेश्वर की जै बोल रहा था॥