एक समय मैं एक छोटा सा कुत्ता था, अपने पंजे में चुभे एक बड़े काँटे
के साथ
जो धीरे-धीरे स्वयं एक कांटे में परिवर्तित हो गया,
भूंक में नहीं, पर उस चीज में,
जिसपर भौंका जाए, दुराग्रही, लहू से मुद्रित ।
वे पवित्र-विलेपन, सुगन्धित धूप और नियम से बड़े हुए,
पर मैं रहा निर्वासित आरम्भ से ही
कड़कती बिजली को आसमान से झील में गिरते हुए देखने के लिए
जिसने केवल स्वयं को ही उद्घाटित किया ।
उनके पास गिरजा में बैठने के आसन, प्रार्थना के चादर थे
और वृद्ध पादरी यह बताने के लिए कि वे कब अपने घुटने टेकें और
क्या कहें ।
पर मेरे पास सिर्फ मेरी आँखें,
जिह्वा, नाक, त्वचा और दुर्बल कान ।
पतन के कपोत, कलह के स्थूल कीड़े,
बैताल, रचनाकार-जब इंसान अपनी असीम लघुता पर उतर जाता है
तो सिर्फ दुनिया से घृणा कर के ही
मैं तुमसे मुक्ति नहीं पा सकता ।
परिंदे गर्मी में अपने सायबान के ऊपर
बयार और पत्तों की आज्ञा का पालन करते हैं ।
हिलोरे लेते उनके मंत्र जाप
घुड़मुड़ाहट और गीत को लेकर एक सारा दिन बुन सकते हैं ।
मैंने कांटे की सेवा कर ली है, और भव्यता के तट पर खड़ा हूँ,
विस्मित और बक-बक करता हुआ ।
किसी ने भी मुझे ईश्वर की राह नहीं दिखाई
अत: संशय के मूर्तिपूजन में ही मैंने निपुणता हासिल कर ली है ।
और अब यही कविता मूल अमरीकी अँग्रेज़ी में पढ़ें।
A Thorn in the Paw
Once I was a young dog with a big thorn
in its paw, slowly becoming that very thorn,
not the howl but the thing
howled at, importunate, printing in blood.
Others grew up with chrism, incense, law,
but I was exiled from the start to stare
at lightning hurled from the sky
into a lake that revealed only itself.
Others had pews and prayer-shawls, old fathers
telling them when to kneel and what to say.
I had only my eyes
my tongue my nose my skin and feeble ears.
Dove of descent, fat worm of contention,
bogeyman, Author-I can’t get rid of you
merely by hating the world
when people behave at their too-human worst.
Birds high up in their summer baldachin
obey the messages of wind and leaves.
Their airy hosannas
can build a whole day out of worming and song.
I’ve worked at the thorn, I’ve stood by the shore
of the marvelous, drop-jawed and jabbering.
Nobody gave me a god
so I perfect my idolatry of doubt.