पक्षी उड़ आएँगे / महेंद्रसिंह जाडेजा

तुम रुको,
मैं अपने पदचिह्नों से कहता हूँ
कि वे चले आएँ
नहीं तो
रात में रास्ता नहीं मिलेगा
और
समय को मेरे पदचिह्न खो जाने की
चिंता हुआ करेगी ।

और देखो
फूल मुरझाएँ नहीं
सूरज को किसी पहाड़ के पीछे
रहने को कहना

और कोई पक्षी आए तो उसे
मेरा वह
खड़ी फ़सल जैसा
हरियाला गीत सुनाना ।

तितलियाँ फूलों के साथ
बातें करने को आएँगीं
वो सुनना
और मुझे आने में
अगर देर हो जाए तो

मेरा वह
खेत के खड़ी फ़सल जैसा
हरियाला गीत
तुम फिर से गाना,
पक्षी उड़ आएँगे...

मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : क्रान्ति

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.