पुरानों चेहरा पर
नया-नया बाल-विन्यास
जेना नालंदा-विक्रमशीला के खंडहर पर
एक रोमांटिक उपन्यास।
पैंसठ रोॅ उमिर मेॅ
चौकड़ी रोॅ पिन्हीं शर्ट
जेरा दादी नेॅ पिन्हलेॅ छै
मुन्नी रोॅ स्कर्ट।
आवेॅ दादी नेॅ मोटोॅ फ्रेम वाला चश्मा
फेंकी देलेॅ छै हुरा ढेरी मेॅ
आरोॅ मुन्नी के पतला फ्रेम वाली चश्मा
पिन्हीं कहै छै कत्तेॅ हौल्ला लागै छै
साफ-साफ देखाय छै।
आधुनिकता रोॅ दौर मेॅ
भुलाय गेलै भारतीय संस्कृति आरो सभ्यता
अपनाय लेलकै पछियारी सभ्यता।