जनता नहीं है यह
के विकास की डाँड़ी खेवाते
अपने करतबों पर नचाते
किनारे करते रहोगे
यह पानी है
इसकी जगह को
विकास के ईंट-पत्थरों से
भर दोगे
तो तुम्हारे घरों में
घुस आएगा यह
और नरेटी तक चढ़
बंद कर देगा
तुम्हारी सांसें।
जनता नहीं है यह
के विकास की डाँड़ी खेवाते
अपने करतबों पर नचाते
किनारे करते रहोगे
यह पानी है
इसकी जगह को
विकास के ईंट-पत्थरों से
भर दोगे
तो तुम्हारे घरों में
घुस आएगा यह
और नरेटी तक चढ़
बंद कर देगा
तुम्हारी सांसें।