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पठालीछों कूड़ु / मोहित नेगी मुंतज़िर

 
सेरी भो भयात रे
बाब दादूँ थात रे
सेरा गों मा धाक रे
भुलयूं बिसरयूँ बटवे
जख रात बिरात रे।
चुलु नि बजदू छो रात भर
वे पठालीछों कूड़ा पर।

गौं मा क्वी बरात हो
के दयबते जात हो
गौं मा केका पितरों
सप्ताह श्राद्ध हो।
सदानि व्हे सब्यूँ बसर
वे पठालीछों कूड़ा पर।

जेका चौक झुमैला व्हेन
के धियानियों डोला गेन
के मनखयूं याद रेन
नंदा राजजात मा
देवतों छंतोला भिंटेंन
केकु जस नी करि असर।
वे पठालीछों कूड़ा पर।

काका बोड़ा सोरा भारा
सबुन बोली हिस्सा करा
एथर क्वी राड न हो
खत्म येकु किस्सा कर्रा
सब्यूँन गाडी दिनी कसर
वे पठालीछों कूड़ा पर।

सब्यूँ प्यार प्रेम हारी
न केन सोची न बिचारि
 दे दादूँ वजूद पर
बड़ान पेलु घोंण मारी
कुजाणी केकी लगी नज़र
वे पठालीछों कूड़ा पर।