बेधड़क वह मिलने चली आती है घर में और मैं छत पर भागता हूँ परिवार समेत
सारा असबाब बत्तखों की तरह भागता-फिरता है घर-बाहर
उसकी तरह ही घर में दाख़िल होती है राप्ती
हाँ वही अचिरावती...
बेधड़क वह मिलने चली आती है घर में और मैं छत पर भागता हूँ परिवार समेत
सारा असबाब बत्तखों की तरह भागता-फिरता है घर-बाहर
उसकी तरह ही घर में दाख़िल होती है राप्ती
हाँ वही अचिरावती...