Last modified on 15 दिसम्बर 2015, at 14:15

पढ़े बर चल दीदी / शकुंतला तरार

पढ़े बर चल दीदी
पढ़े बर चल बहिनी
पढ़े बर चल वो दाई
 भाग ल हम अपन चमकाबो
पढ़े बर चल वो दीदी
आवो चल कमला तयं
अउ चल बिमला तयं रे...
 मेटाबो अगियानता के अंधियारा ला
 शिक्षा के जोत बारबो रे
नान्हे-नान्हे लईका चलव
बूढ़ी दाई काकी चलव रे...
नईं हम रहिबोन अब अनपढ़ वो
बिद्या के गंगा लानबो रे
बनी भूती हम जाबोन
 ठिहा कमाये जाबोन...
दिन भर मिहनत ला हम करबोन
संझा पढ़े जाबों रे...
अब कोनो नई ठगही
अंगठा हम नई चेपावन रे...
रद्दा खुदे हम अपन गढ़ लेबोन
नवा निरमान करबो रे...