पतझड़ के बाद
शेष रह जाता है
प्रकृति में सिर्फ
वीरानियाँ
पर गूँजती रहती है
उन वीरानियों में भी
एक सुमधुर गीत
जो तुम छोड़ जाते हो
चुपचाप
निस्तब्धता के बीच
और
मैं/डूबी खोयी रहती हूँ
अगले पतझड़ तक ।
पतझड़ के बाद
शेष रह जाता है
प्रकृति में सिर्फ
वीरानियाँ
पर गूँजती रहती है
उन वीरानियों में भी
एक सुमधुर गीत
जो तुम छोड़ जाते हो
चुपचाप
निस्तब्धता के बीच
और
मैं/डूबी खोयी रहती हूँ
अगले पतझड़ तक ।