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पतझड़ भइल अनंत / हरेश्वर राय

रमकलिया के गाँव से
रूस गइल मधुमास I

कोकिल से कंत बसंत रूसल
थापन से मिरदंग
कलियन से अंगड़ाई रूसल
फागुन भइल बेरंग I

परबतिया के पाँव से
लूट गइल अनुप्रास I

हरिया से होरी रूसल
हल्कू से ओकर खेत
छठिया से चूड़ी रूसल
बुधिया मू गइल सेंत I

करिया कगवा के काँव से
अशवा भइल निराश I

फूलन से भौंरा रूसल
मोजर से रूसल सुगंध
फुलवारी से तितली रूसल
पतझड़ भइल अनंत I

बीच भँवर में नाव से
उठ गइल बिश्वास I