Last modified on 30 मई 2016, at 11:29

पता नहीं / संतोष कुमार चतुर्वेदी

रंगों के भूगोल में
डूबे थे कई रंग
काग़ज़ पर
दिख रहे थे
वे ख़ूबसूरत

लेकिन ......
अता पता नहीं था
तो केवल

उँगलियों का
ब्रश का
पानी का