गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 12 जुलाई 2008, at 13:01
पत्ता था / प्रेमशंकर शुक्ल
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
प्रेमशंकर शुक्ल
»
कुछ आकाश
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
पत्ता था
सिहरा बहुत
हरा रहने के लिए
फिर टूट कर
मिल गया
अपनी ज़मीन में।