तुम क्या गईं
मैं बेसुरा हो गया
जीवन-संगीत और वस्तुगत आकर्षण
सब बुरा हो गया
मैं पँक्तियों के खो जाने पर भी रोया हूँ
तुम तो समूची स्त्री थीं
तुम क्या गईं
मैं बेसुरा हो गया
जीवन-संगीत और वस्तुगत आकर्षण
सब बुरा हो गया
मैं पँक्तियों के खो जाने पर भी रोया हूँ
तुम तो समूची स्त्री थीं