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पत्नी का मन्दिर / कुमार कृष्ण

दो कमरों के घर में
ढूँढ़ ली है पत्नी ने अपने लिए
थोड़ी -सी पूजा की जगह
जहाँ कभी नहीं भूलती वह दीप जलाना
उसने बचा कर रखें हैं अपने पास
पिता के बेशुमार मन्त्र
छोटी-छोटी यादों के साथ
वह उनको भी छुपा कर ले आई थी अपने साथ
उसने गुजारे हैं इन्हीं मन्त्रों की उम्मीद पर
बेशुमार तकलीफ भरे क्षण
किया है मुकाबला बच्चों की बीमारी में
पाला है इन्हीं मन्त्रों के विश्वास पर पूरा परिवार
उसका छोटा-सा मन्दिर
बड़े-बड़े मन्दिरों से भी बहुत बड़ा है।