सच्ची लगन उदार मंत्र, पथ मिले हजार ।
पूजा फले सदैव सत्य, शुद्ध हो विचार ।
रिश्ते करें सवाल हंत, फासले तमाम,
मतभेद यों बढ़ा मिटा न, आपसी दरार ।
वंदनीय नित कर्म धर्म, देश ये महान,
देती सदा सनेह नित्य,भारती पुकार,
संभव तभी विकास साथ,एक हों अनेक।
दूर दर्शिता अभेद हों, सिद्धियाँ अपार ।
उत्सर्ग ये सदैव मातृ, भूमि को अशेष,
निस्वार्थ प्रेम स्रोत सार,हो न लेष खार ।