हमरा आपनोॅ शरणियाँ गुरू राखी लिहोॅ ।
जेना राखभोॅ, वोन्हैं रहभै, भक्ति-भाव आरू सेवा करवै
रोज पैवै तोर दर्शनियाँ, राखी लीहोॅ ।
जनम-जनम सें भटकत रहलौं, पइलौं दुख अपार
अबकी बेरिया तोरोॅ कृपा भेलै, अइलौं तोर शरणियाँ राखी लिहोॅ ।
एक्के विनती हमरोॅ प्रभुजी राखोॅ आपनोॅ वचनियाँ, राखी लिहोॅ ।