Last modified on 19 सितम्बर 2018, at 15:33

पद / 2 / श्रीजुगलप्रिया

जुगल-छबि कब नैनन में आवै।
मोर मुकुट की लटक चन्द्रिका सटकारो लट भावै॥
गर गुंजा गजरा फूलन के फूल से बैन सुनावै।
नील दुकूल पीत पट भूषण मनभावन दरसावै॥
कटि किंकिनि कंकन कर कमलनि कनित मधुर धुनि छावै।
‘जुगल प्रिया’ पद-पदुम परसि कै अनत नहीं सचुपावै॥